तुम  आओ तो 

तुम्हारे आने की खबर सुन कर  अच्छा लगा | आओ मैं प्रतीक्षा में हूँ लम्बी क़तर में खड़ा पंजों  के बल उचक उचक कर  जैसे…

गर्वीली चट्टान

तोड़नी है खरगोश की तरह छलाँगें मारते हजार- हजार प्रपातों को कोख में दबाये खड़ी चट्टान गर्वीली !अनुर्वरा !!   तोड़नी हैं जेवरा की धारियों…

एक समकालीन गीत

देहरी लाँघी नहीं घुटन में घुटती रहीं बच्चे रसोई बिस्तरे की दूरियाँ भरती रहीं बंदिशों की खिड़कियों के काँच सारे तोड़ डाले लो तुम्हें आजाद…

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