बयां करती है

बिस्तर की सलवटें, शबे-हाल बयां करती है। भीगा सिरहाना, हिज़्रे-मलाल बयां करती है। बेशक लाख छुपाओ, ग़मे-जुदाई का दर्द लेकिन, बेरंग सा चेहरा, बेनूर हुस्नो-जमाल…

रिंद

बेक़रारी का आलम है, दीवाने की मानिंद। ना सहरे-सकूँ मिलता, ना आती शबे-नींद। तेरी आँखों से पिया करते थे जामे-शराब, तेरी जुदाई में अब कहीं,…

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