तेरे जाने के बाद हुआ
तेरा जिक्र बेखयाली में हुआ मुझे फ़िक्र तेरे जाने के बाद हुआ मुझे मोह्बत थी तोह तुझसे पर अहसास तेरे जाने के बाद हुआ
तेरा जिक्र बेखयाली में हुआ मुझे फ़िक्र तेरे जाने के बाद हुआ मुझे मोह्बत थी तोह तुझसे पर अहसास तेरे जाने के बाद हुआ
आखिर खुश तोह हो ना तुम कभी यह ही मायने रखा करती थी किताबों के बीच वोह सुखी गुलाब आज भी बहुत कुछ कहती है…
रात को जगने वाले हर कोई आशिक नहीं होता साहब कुछ को अगले दिन रोटी की फ़िक़्र होती है
तुम मेरे ज़िन्दगी खरीद सकते हो पर ख्वाब तोह आज़ाद है तुम मेरे तन को गुलाम कर सकते हो पर लब तोह आज़ाद है तुम…
वक़्त का क्या है कट जाता है जनाब जिस वक़्त पर तुम्हे गुरुर है वोह भी कट जाएगा
तुम लोगों से अच्छे दुश्मन है कम से कम दोस्त होने का दावा तोह नहीं करते
इतना गुरुर ना कर अपनी खुबसुरती पड़ यह तोह उम्र के साथ चला जायेगा जितना उस खुदा ने प्यार और शिद्दत ने तुझे बनाया काश…
तेरे जाने पे खुद को समेट लिया था सोचा था ज़िन्दगी खत्म है ना नींद थी ना चैन था इश्क़ इबादत थी कभी ना रैन…
साद और बर्बाद भी हुआ मौला प्यार भी किया नफरत भी किया मौला गुनाह भी किया मौला शफा भी किया अंत में रुका जहा तोह…
गम है तोह रो ले चेहरा पढ़ के दिल का हाल जाने वाले अभी कहा बनते है
बारिश की पहली बूंद सी सुकून दे जाती तू इस तपती धरती को जीने के और मौके दे जाती तू लाखों वजूहात थे नफ़रतें थी…
ज़िन्दगी कोरा कागज़ थी हमारी तुमने कुछ रंग भर दिए आये हो तोह रुक जाओ इतनी जल्दी क्या जाने की पर रोक तोह हम सकते…
जब फुरक़त हुई तोह पता चला काश फुरसत से अगर तुझे चाहा होता
चले थे हम भी साथ ही तोह तुम आगे हम पीछे रह गए ज़िन्दगी ने तुम्हे सहारा दिया हमे अंधेरा इसमे कोई मलाल नहीं पर…
जब फुरक़त हुई तोह पता चला फुरसत से अगर तुझे चाहा होता
इतनी भी क्या नाराज़गी पगली एक बार पूछ तोह लिया होता गुस्से से चल दी तू एक बार मुड़ के देख तोह लिया होता सोच…
रेत की तरह यू हाथ से छूट रहा है तू जितना जोड़ लगाओ उतना तेज़ फिसल रहा है तू याद रख तेरे रब ने कभी…
हम तो झूठ की ही दुनिया में जीते हैं क्यों कि सच हमे अकेला कर देता है मुखोटा सबका सही लगता है बस अपना आईना…
रेत यू तोह हाथ से फिसलता हैं जितना जोड़ लगाओ उतना तेज़ फिसलता जाता है पढ़ उसमे पानी मिलाओ तोह हाथ मे जम जाता है…
ज़िन्दगी सतत संग्राम हैं यारों यहां हर चीज़ की लड़ के हासिल होती है कोई हमे रास्ता नहीं देता खुद ही रास्ता बनाने की कोसिस…
माँ भूख लगी है घर में कोई खाना नहीं हैं तोह क्या खाली बर्तनों को चूल्हे में जलाकर ताकी खाने की आस में उसे नींद…
इतनी भी नाराज़गी ठीक नहीं की फासले उम्र भर का हो जाये पल भर का जीना है यारों बेगाने लोगों को छोड़ यहाँ अपनो से…
इन्तेक़ाम से इंतज़ार ही बेहतर हैं उम्मीद का दामन पकड़कर थोड़ा चैन से बैठो कभी ना कभी उसे तुम याद आओगे इस अहसास से ज़िन्दगी…
तिनको का घोसला था मेरा बरसात में डय गए सपनो के पर थे मेरे उड़ने से पहले बर्बाद हो गए माध्यम वर्ग का यही होता…
जज़बात आज फिर से उमरे है कलम आज फिर बरसे है फिर से इस नादान दिल को फिसलने का मौका मिला है फिर से आँखों…
तुझसे क्या नाता जुड़ा की हर सकस मैं तू नज़र आया इतनी भी ना पास आ तू की मेरे अकेलेपन को तेरी आदत पड़ जाए…
तेरी अक़ीदत मेरी इबादत तेरी ज़ीनत(श्रृंगार) मेरी सलत (prayer) तुझसे मिलाने के लिए उस खुदा का शुकराना, तेरी चाहत में इस नाचीज़ का कबूल कर…
उंगली पकड़ कर थामा था जिसका हाथ पता नहीं क्यों वो छोर गया मेरा साथ मेरे अनकही बातों को समझने वाले जज़बात पता नही क्यों…
दर्द तूफान में उजड़ने का नहीं दर्द अपनो का तूफान में मुझे देखकर किवाड़ बंद करने का है
पहला प्यार जाम की तरह होती हैं जब भरी हो तोह उसका अहसास नहीं होता जब खाली हो तोह उसकी लत छूटती नहीं
यार दफन करना मुझे आग तोह तेरे पास भी नहीं होता तोह आज यह नौबत ना आती यार फूलों से सजाना नहीं कुछ तोह अपने…
बाबा की आलमारी लगती थी मुझको पयारी आचारों और चॉकलेट की फुलकारी अनसोचे ख्वाबो का पिटारा कलम किसमिस खिलौनो का पिटारा बचपन के उन ख्वाबो…
पहली बार जब रोया तोह भूख और प्यास थी दूसरी बार जब रोया स्कूल का पहला दिन था तिसरी बार जब रोया तब स्कूल का…
Looking back in times, When you and me were lonely in the moonlight, Time has passed by, I wait for those times tonight Looking back…
आज फिर तेरी आँखे नम है पता नहीं किस बात का तुझे गम हैं ज़िन्दगी के पल कुछ कम हैं नहीं तोह हाल ऐ दिल…
ऐ खुदा बोल तेरी रजा क्या हैं मेरे नादान दिल की सजा क्या है चले हैं सच की तलाश में तेरे ठोकरो का अंजाम क्या…
chaley toh hum bhi the tera hath pakarkar bas zindagi ke bheed main tu agey bar gayi milna tha mujhse par tu kisi aur main…
gam tere maut ka nahin par dosh tere dharm ka hain es baat ko bhulu kaise hosh mere sudh gaye toh kya par majra yeh…
ab ke sawan bhege sab agan ak mera hi ghar sukha rah gaya nazar main tere sabhi aa gaye ak main hi bezud sa khada…
tera phone aya hi nahin mera intezar khatam hua hi nahin aj bhi jata hun jaha milna tha kabhi par mukkdar ne teri rubaru laya…
janey es desh ke mukaddar main kya hain ak taraf ekhlakh,junaid ke kabr hain dusri taraf desh ke thekedar beasabr hain khun ki aj koi…
tere jikr se aakheen nam hain meri mere hijr ki kya kahu kaisi hain ruswayi likhtey likhtey main shayar ban gaya ho saka na nayak…
kitabon ke panno main chipi thi teri yaad, jyada kuch nahin bas thi ek sougat, sukhe hue gulab ki pankhuri jis ki ab koi kimat…
yeh khuli diary yeh adh jala cigarette, yeh chai ke pyaley kya kahti hain, kal ki raat tumhey need nahin ayi ya kisi ki yaad…
khud ka mukam bananey chala bandya kisi anjaan sahar main chod ke apno ko chala bandya apna jahan bananey par ghar ki woh choukhat aj…
begani bheed main rahi anjana, dudhey hain apni manjhil sahil tak jana kho ke pana hain sab kuch, ya sab kuch kho jana, yeh satat…
khamosh bheed main kyun khada hain tu, begano main apna sa kyun lagey hain tu, es raat ki kyun koi subah nahin, gam hain ki…
main rahunga teri yaad bankey , chota hi sahi bas ek fariyad bankey , tere juban ki baat bankey kabhi yaad meri ayegi, tere cherey…
with every step i take u held me back I blamed you but that stopped me from failure with every words I said against u…
es kaach ke ashiyane main dar pathar ka nahin pratibimb ka hain mukhotte ki aar main chipa chehra mera hain ya kisi aur ka hain…
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