फ़र्ज़ राखी का

न था मित्र कोई सखा मेरा जन्मा था वो बनके दोस्त मेरा। पहली दफा मुस्कुराया वो, मन प्रफुल्लित हुआ था मेर। जैसे गुड़हल के पुष्प…

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