कितने ही दिन गुज़रे हैं पर, ना गुजरी वो शाम अभी तक; तुम तो चले गए पर मैं हूँ, खुद में ही गुमनाम अभी तक!…
Author: Ankit Bhadouria
“ना पा सका “
ღ_ना ख़ुदी को पा सका, ना ख़ुदा को पा सका; इस तरह से गुम हुआ, मैं मुझे ना पा सका! . जिस मोड़ पे जुदा…
“मैं कौन हूँ”
ღღ_मैं कौन हूँ आखिर, और कहाँ मेरा ठिकाना है; कहाँ से आ रहा हूँ, और कहाँ मुझको जाना है! . किसी मकड़ी के जाले-सा, उलझा…
“महबूब”
शबनम से भीगे लब हैं, और सुर्खरू से रुख़सार; आवाज़ में खनक और, बदन महका हुआ सा है! . इक झूलती सी लट है, लब…
“मुलाकात रहने दो”
ღღ_आज ना ही आओ मिलने, ये मुलाकात रहने दो; कुछ देर को मुझको, आज मेरे ही साथ रहने दो! . अन्धेरों की, उजालों की, हवाओं…
“देखा नहीं तुमने”
ღღ_ख़ुद से लेते हुए इन्तक़ाम, देखा नहीं तुमने; अच्छा हुआ मेरा अस्क़ाम, देखा नहीं तुमने! . उतर ही जाता चेहरा मेरा, शर्म से उसी दम;…
“ग़ज़ल होती है”
ღღ_महबूब से मिलने की, हर तारीख़ ग़ज़ल होती है; महफ़िल में उनके हुस्न की, तारीफ़ ग़ज़ल होती है! . ग़ज़ल होती है महबूब की, बोली…
“ग़ज़ल लिक्खूँगा!”
ღღ_मैं भी लिक्खूँगा किसी रोज़, दास्तान अपनी; मैं भी किसी रोज़, तुझपे इक ग़ज़ल लिक्खूँगा! . लिक्खूँगा कोई शख्स, तो परियों-सा लिक्खूँगा; ग़र गुलों का…
“जाने दे!”
ღღ__महज़ एक लम्हा ही तो हूँ, गुज़र जाने दे; इस तरह तू जिंदगी अपनी, संवर जाने दे! . ले चलें जिस डगर, दुश्वारियाँ मोहब्बत की;…
मगर कब तक!
ღღ_कर तो लूँ मैं इन्तजार, मगर कब तक; लौट आएगा बार-बार, मगर कब तक! . उसे चाहने वालों की, कमी नहीं है दुनिया में; याद…
“अलग है”
ღღ_यूँ हर एक शख्स में अब, मत ढूँढ तू मुझको; मैं “अक्स” हूँ ‘साहब’, मेरा किरदार ही अलग है! . झूठ के सिक्कों से, हर…
ღღ_कभी यूँ भी तो हो
ღღ_कभी यूँ भी तो हो, कि दिल की अमीरी बनी रहे; फिर चाहे तो ज़िन्दगानी, ग़ुरबत में बसर कर दे! . कोई एक शाम फुरसत…
“देर तलक”
ღღ_कल फ़िर से दोस्तों ने, तेरा ज़िक्र किया महफ़िल में; कल फ़िर से अकेले में, तुझे सोंचता रहा मैं देर तलक! . कल फ़िर से…
“ख़ुदा-ख़ुदा करके”
ღღ_तजुर्बे सब हुए मुझको, महज़ उससे वफ़ा करके; दुआ जीने की दी उसने, मुझे खुद से जुदा करके! . मैं कहना चाहता तो हूँ, यकीं…
“नहीं होता”
ღღ_वो चाँद जो दिखता है, वो सबको ही दिखता है; महज़ देख लेने भर से ही, वो हमारा नहीं होता! . दिन तो कट ही…
“कहाँ रहते हो”
ღღ_हम ढूँढ आए ये शहर-ए-तमाम, कहाँ रहते हो; अरे अब आ जाओ कि हुई शाम, कहाँ रहते हो! . इज्जत ख़ुद नहीं कमाई, विरासत ही…
“नहीं देखा”
ღღ_मोहब्बत करके नहीं देखी, तो ये जहाँ नहीं देखा; मेरे महबूब तूने शायद, पूरा आसमां नहीं देखा! . तुझमें खोया जो एक बार, फ़िर मिला…
“बुरा लगता है”
ღღ__तेरे लब पे सिवा मेरे, कोई नाम आये तो बुरा लगता है; इक वही मौसम, जब हर शाम, आये तो बुरा लगता है! . जागते…
“रंग” #2Liner
ღღ__कुछ एक बे-रंग क़तरों में, बह गया ज़िन्दगी का हर एक रंग; . सबक क्या-क्या नहीं सीखे, “अक्स” हमने आंसुओं की जानिब से!!…#अक्स .
“याद”#2Liner…..
ღღ__ना जाने आज इतना, क्यूँ याद आ रहे हो “साहब”; . तुझे भूलने की कोशिश, तो हमने की ही नहीं कभी!!….#अक्स .
“कोई राब्ता तो हो!!.”
ღღ__ठहरा हुआ हूँ कब से, मैं तेरे इन्तज़ार में; आख़िर सफ़र की मेरे, कोई इब्तिदा तो हो! . मंजिल पे मेरी नज़र है, अरसे से…
“डर लगता है!!”
ღღ__जब दर्द भी दर्द ना दे पाए, तो डर लगता है; आशिक़ी हद से गुज़र जाये, तो डर लगता है!! . डर लगता है अक्सर,…
“इलाज” #2Liner-111
ღღ__कुछ इस तरह भी करता है “साहब”, वो मेरे दर्द का इलाज; . कि पहले घाव देता है, फिर अपने आंसुओं से धोता है!!…..#अक्स
“चाँद” #2Liner-110
ღღ__कल शब मिला था इक चाँद, हाँ “साहब” चाँद ही रहा होगा; . मिले भी तो दूर से, प्यार पर गुरूर से, और दोनों ही…
“ना-समझ ख्वाब” #2Liner-109
ღღ__ब-मुश्किल थपकियाँ देकर सुलाती है, नींद मुझको “साहब”; पर कुछ ना-समझ ख्वाब हैं उनके, जो बे-वक़्त जगा देते हैं!!…#अक्स
“मजबूरी” #2Liner-108
ღღ__मजबूरी में सुनने पड़ते हैं “साहब”, लोगों के ताने अक्सर; . कोई भी शख्स इस जहाँ में, शौक़ से रुसवा नहीं होता!!…#अक्स
“गुफ्तगू” #2Liner-108
ღღ__दुश्वारियाँ लाख सही लेकिन, गुफ्तगू करते रहो “साहब”; . मुसलसल चुप रहने से भी कोई, मसला हल नहीं होता!!…..#अक्स
“आवाज़”
ღღ__कौन-सी दुनिया में रहते हो, तुम आज-कल “साहब”; . जो सपनों में भी तुम तक, मेरी आवाज़ नहीं जाती!!….#अक्स
“मजबूरियाँ” #2Liner-107
ღღ__मजबूरियों का आलम कुछ ऐसा भी होता है “साहब”; . मुसाफिर हूँ फिर भी, अपनी मंजिलें छोड़ आया हूँ!!….#अक्स
“ख़ामोशी” #2Liner-106
ღღ__कह तो सब दूँ “साहब”, पर कभी ख़ामोशी भी पढ़ा करो; . वैसे भी मोहब्बत में, हर बात, कहने की नहीं होती!!……#अक्स
“चाँद” #2Liner-106
ღღ__गलतफ़हमी में जागते रहे, रात भर उनको जगता देखकर; . भला क्या ज़रूरत थी चाँद को, यूँ रात में निकलने की!!….#अक्स .
“दस्तक” #2Liner-105
ღღ__कल शब तुम्हारी यादों ने “साहब”, क्या दरवाज़े पर दस्तक दी थी? . सुबह को मेरी गली में, कुछ क़दमों के निशान मिले थे आज!!…..#अक्स
“क़दमों के निशान” #2Liner-104
ღღ__कल भी आये थे “साहब”, घर तक उनके क़दमों के निशान; . वो मुझसे मिलते तो नहीं लेकिन, मिलने आते ज़रूर हैं!!….#अक्स
“असर” #2Liner-104
ღღ__आपकी मोहब्बत का, इतना तो असर हुआ है “साहब”; . कि अब अक्सर वहाँ होता हूँ, जहाँ होता नहीं हूँ मैं !!….#अक्स
“ख्वाब” #2Liner-103
ღღ__गर इजाज़त हो आपकी, तो कुछ ख्वाब देख लूँ “साहब”; . यूँ तो अरसा गुज़र चुका है, आप सुलाने नहीं आये !!….#अक्स
“ख़त” #2Liner-102
ღღ__यूँ भी कई बार “साहब”, मोहब्बत का सिला मिला मुझे; . कि मेरे ख़त के जवाब में, मेरा ही ख़त मिला मुझे!!…..#अक्स
“ख़ुदकुशी” #2Liner-101
ღღ__न जाने किस कशिश से कब्र ने, पुकारा था आज “साहब”; . कि ना चाहते हुए भी मुझको, आज ख़ुदकुशी करनी पड़ी!!…#अक्स .
गुफ्तगू #2Liner-100
ღღ__गुफ्तगू बेशक नहीं करते, निगाहें फिर भी रखते हैं; . ना जाने प्यार है कैसा, जो कभी बयाँ नहीं होता!!…..#अक्स
कहाँ रहते हो #2Liner-96
ღღ__कहाँ रहते हो तुम भी, आज-कल “साहब”; . बात-बिन-बात, दिल दुखाने नहीं आते!!….#अक्स
याद #2Liner-97
ღღ__कोई याद ही ना करे, ये तो हो सकता है “साहब”; . मगर भूल जाए मुझको, भला ये कहाँ मुमकिन है!!….#अक्स
“फुरसत” #2Liner-97
ღღ__कई बार खुद को, यूँ भी बहलाया है हमने “साहब”; . कि वो आते तो ज़रूर, मगर फुरसत ही कहाँ होगी!!…..#अक्स
“तजुर्बा” #2Liner-96
ღღ__कम उम्र में ही ज्यादा, तजुर्बे हो जाने का ये खतरा है “साहब”; . कि फिर वो उम्र तो रहती है, मगर कोई बच्चा नहीं…
ज़िद #2Liner-95
ღღ__ये ज़िन्दगी अक्सर, ज़िद से नहीं चलती “साहब”; . कुछ धडकनों की खातिर, दिल से समझौता ज़रूरी है!!….#अक्स
“वहम” #2Liner-94
ღღ__ये भी हो सकता है मुझको, फिर से वहम हुआ हो “साहब” . फिर भी पूछ लो ना दिल से, क्यूँ मुझे आवाज़ देता है!!…#अक्स…
“ख़ानाबदोश-सी ज़िन्दगी” #2Liner-94
. ღღ__ख़ानाबदोश-सी ज़िन्दगी ही, लिखी है नसीब में “साहब”; . कुछ लोगों का इस जहाँ में, अपना ठिकाना नहीं होता!!…..#अक्स .
“इंतज़ार” #2Liner-93
ღღ__इंतज़ार लम्बा ही सही “साहब”, पर मैं समझौता नहीं करता ; . हमसफ़र वो ही बनेगा मेरा, जिसे भी मेरी ज़रूरत हो!!…..#अक्स
“ख़याल” #2Liner-92
ღღ__सुना है कि तुमको, बहुत ख़याल है मेरा “साहब”; . मैं भी जा रहा हूँ खुद को, तेरे पास छोड़ के आज!!….#अक्स
“गुफ्तगू” #2Liner-82
ღღ__वो तो अहद-ए-वफ़ा की खातिर, तुमसे मिलता रहा हूँ साहब; . वरना गुफ्तगू…..वो भी तुमसे…..क्या मज़ाक करते हो!!….#अक्स .