मुक्तक 5

जिंदगी बीत जाती है किसी को चाह कर कैसे?  कोई  बतलाये  तो मुझको मैं जीना भूल बैठा हूँ… अदा भी तुम ,कज़ा भी तुम ,मेरे…

मुक्तक 4

यहाँ हर शख्स है तेरा, वहां हर कब्र है मेरी, जहाँ कैसा बनाया है खुद ने क्या इरादा था? अब तो हालात भी मुझसे मिचौली…

मुक्तक 3

खड़ी है जिंदगी फिर पूछती घर का पता क्या है, मुझे याद नहीं है मीर तू ही जाकर बता क्या है.. बड़ी मुश्किल है बेचारी…

मुक्तक2

हो गयी मुद्दत  तुम्हारे सामने आया ही नहीं , है मगर सच ये कभी तुमने बुलाया ही नहीं. अब तो सांसो पर मेरे पहरा तुम्हारा…

मुक्तक 1

मोहब्बत के सवालों से मैं अक्सर अब मुकर जाता , कहीं बातो ही बातों में मैं कुछ कहकर ठहर जाता..  कि तेरा नाम भूले से…

मेरी हार …

मोहब्बत में हारे, क़यामत  में हारे की ये ज़िंदगी हम शराफत में हारे.. न कोई है अपना ,न कोई पराया, अब जियें किसलिए  और किसके…

तुम्हारे लिए..

अगर तुम बन गयी दीपक तुम्हारी लौ बनूँगा मैं, नदी के शोर में शायद तुम्हारी धुन सुनूंगा मैं. तुम्हारी याद में अक्सर यहाँ आंसू  टपक…

वह दौर था .

मोहब्बत  का  वह  दौर  था  , दिखता नहीं  कुछ  और  था .. बस हमारे  प्यार  का  सारे जहां में  शोर  था, उसने  चुराया  दिल  …

मैं और वो

चन्दन मेरा वजूद है लिपटे हुए हैं सांप , बेबस की ये दवा है क्या मीर किया जाये …. गुलजार करने आया था वो बागबान…

आरज़ू

दबी जबान में चलो आज बात हो जाये , आँखों ही आँखों में अब मुलाकात हो जाये जज्बातों में अब आबरू बची भी रहे ,…

एक प्रश्न

आँखों से झरते आंसू ने थमकर पूछा आखिर सजा क्यों मिली मुझे ख़ुदकुशी की? दिल रो पड़ा पुराना जखम फिर हरा हुआ, कहा, गुनाह उसी…

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