खुशियाँ

जहाँ कचरे के ढ़ेर में भी बच्चे खुशियाँ ढूंढ़ लेते हैं,
वहीं कमज़र्फ दिल इसमें भी सुर्खियाँ ढूंढ़ लेते हैं।।

राही अंजाना

Related Articles

कूड़े का ढेर

जिसे कहते हो तुम कूड़े का ढेर; वह कोई कूड़ा नहीं! वह है तुम्हारी, अपनी चीजो का ‘आज’ | जिसे खरीदकर कल तुमने बसाया था…

कचरेवाली

इक कचरेवाली रोज दोपहर.. कचरे के ढेर पे आती है.. तहें टटोलती है उसकी.. जैसे गोताखोर कोई.. सागर की कोख टटोलता है.. उलटती है..पलटती है..…

Responses

+

New Report

Close