सोचता था मैं
सोचता था मैं
कल आएगा
नया सवेरा लाएगा
पर इस बार भी
वही बंजर धरा
वही निसहाय मैं
वही आंसू
थे झोली में मेरी
उम्मीद आई
चुनाव आए
नेता आए
वादे भी आए
पर दो दिन पहले
बन्द हुआ प्रचार
बन्द हुई चहल-पहल
फिर कल तलक
आया नही कोई
मेरा कर्ज माफ हुआ
मैने अगली उम्मीद में
फिर लिया
कब तक
मैं कर्ज लूँ
फिर बाट जोहूँ
कोई रास्ता और नहीं
बेटी की शादी है
बेटे की पढ़ाई है
परिवार की खुशियाँ है
मैं असफल हूँ
असफल हूँ
असफल हूँ
सुंदर रचना
nice
बेहद सुन्दर
Good