उम्मीदों का नववर्ष
उम्मीदों की नई सुबह नववर्ष की।
सुख – समृद्धि और उत्कर्ष की ।।
आगे बढ़ते हैं, कड़वे पल भुला कर।
छोड़ वो यादें, जो चली गई रुला कर।
मधुर यादों के साथ, आओ नववर्ष का,
स्वागत करें, उम्मीद का दीप जलाकर।
बात करें मात्र खुशियां और हर्ष की।
उम्मीदों की नई सुबह नववर्ष की ।
सुख – समृद्धि और उत्कर्ष की ।।
आओ नववर्ष में होते हैं संकल्पित।
जल की हर बूंद करते हैं संरक्षित।
स्वच्छ वातावरण बनाने का प्रयास,
करते हैं, पर्यावरण प्रदूषण रहित।
लालसा किए बगैर निष्कर्ष की।
उम्मीदों की नई सुबह नववर्ष की।
सुख – समृद्धि और उत्कर्ष की ।।
संसार हो दहशत और आतंक मुक्त।
अमन – चैन, समरस और सौहार्द्र युक्त ।
कल्पना साकार हो इस नववर्ष ‘देव’,
परस्पर प्रेम सूत्र में विश्व हो संयुक्त।
त्याग कर मानसिकता संघर्ष की।
उम्मीदों की नई सुबह नववर्ष की।
सुख – समृद्धि और उत्कर्ष की।।
सभी को नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं।
देवेश साखरे ‘देव’
beautiful poem
Thanks
congrats
Thank you
Good
Thanks