भोजपुरी गजल – देशवा ई जोहत बा

भोजपुरी गजल- देशवा ई जोहत बा

केहु जीत के जश्न मानवत केहु हार के रोना रोवत बा |
कही बाजे ढ़ोल नगाड़ा कही केहु भाग के कोसत बा |
जे जितल बा उनके इनाम ई खूब मिल गईल |
जे हारल बा उनको सबक ई खूब मिल गईल |
जनता बाड़े पंच परमेशवर जेवन चाही तेवन होवत बा |
मिल गइल गद्दी सबदिन रही ई कबहु न होला |
दिन दुखियन गरीबन देशवा भूली मस्त रहेला |
उतरीहे खींच के बहियाँ लोगवा ,राजपाट सब खोवत बा |
जे हारेला त का होला उहो जंग बीर कहाला |
हारल योद्धा ताल ठोकी बने फिर मतवाला |
पकड़ि रखिहा जमीनिया हरदम बीतल दिनवा लउटत बा |
देशवा चलावल केवनों हंसी खेल ना होला ये भइया |
मिटावे जे गरीबी बेकारी कबहु फेल ना होला ये भइया |
भूलिहे जे जनता जनारदन धई कपारी खूब रोवत बा |
मिल गइल मौका तनी चलईहा देशवा सम्हाल के |
काम भइल जेतना बेसी तनी करिहा कमाल के |
होखे नाम दुनिया ई तिरंगा भारती देशवा ई जोहत बा |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
मोब।/व्हात्सप्प्स -9955509286

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