Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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बता दे
मेरी चादर का,मैल हटा दे माया मोह की,फांस मिटा दे आये जग मैं क्यों,वो मकसद बता दे -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
मोह
न डरना तुम काली रातों में, न आना माया मोह की बातों में फास न जाना झूठे, रिश्ते नातों में -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
सुपर
Bhut achhaa
Gazzab !!
Thanks