किसान

दाने दाने को तरसे क्यों जो बीज यहाँ पर बोए,

अपने ही बच्चों की खातिर क्यों वो भूखा सोए,

अपनी मेहनत का वो क्यों न उचित मूल्य पिरोये,

सपनों में रंग भरने को वो क्यों अपने जीवन को खोए।।

राही (अंजाना)

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