मैं ज्यादा तो नहीं
मैं ज्यादा तो नहीं
थोड़ी सी बात तुझसे कहना चाहता हूँ,
यार तो तुम अब भी लंगोटिया हो,
बस समय के फेर में थोड़ा तुमसे कम रूबरू हो पाता हूँ
विद्यालय के गलियारों में लम्हें जो गुजारे हैं हमने
तुम क्या सोचते हो
ये रंगीन रातें मुझसे दूर कर देंगी मेरे अपने
मुसीबत को तो तू “टेंशन मत ले बे” कह के भगा देता था,
चिंता के समय को तू खुद हँसता हुआ टाल देता था
दिल में तो तू बहुत है
पर चंद शब्दों में बयाँ करना चाहता हूँ
मैं ज्यादा तो नहीं थोड़ी सी बात तुझसे कहना चाहता हूँ,
मुलाकात हमारी पक्की रहती थी
सुबह के विद्यालय पहुँचने पर
वो डेस्क सूनी-सूनी सी लगती कभी तेरे न होने पर
शायद रोज़ी कमाने के लिए
मैं अकेले जिंदगी की कक्षा में समय गुजार रहा हूँ
तुझे हर पल याद करके बस ये लम्हे काटते जा रहा हूँ
हैल्लो, हाय करने तक के समय में
आज हम सिमित हो गए है,
अर्सों गुजरने के बाद
रस्ते में कभी टकरा जाते हैं
कभी जो दोस्त दिन भर न छोड़ पाते थे
आज मिलने को तरसते नज़र आते हैं,
बस ज्यादा नहीं मैं थोड़ा कहना चाहता हूँ
जिम्मेदारियों के बोझ के बावजूद भी
मैं तेरा यार हमेशा रहना चाहता हूँ।।
-मनीष उपाध्याय
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