Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

मैंने सीख लिया

अपनी की गई गलतियों से सबक लेके, खुद की कमियों को चिन्हित करना मैंने सीख लिया । हासिल करने के लिए ख्वाबों का होना जीने…

Responses

+

New Report

Close