दामिनी

सावन की काली रातों में
उमड़ घुमड़ जब दामिनी दमके
पट खोलो अंतर् मन के

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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देखो बरस रही ठंडी फुहार, बदलियां भर आई। काले-काले मेघा उमड़ घुमड़ रहे, गरज गरज कर शोर सुना रहे, फिर दामिनी तड़की आया झंझावात, बदलियां…

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