चन्दन

कर्म काजल से न करो
मेहको तुम चन्दन से

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

*कर्म*

कर्म ही जीवन का सार, कर्म ही प्राणों का आधार कर्म करते हुए हो इच्छा, सौ वर्ष तक जीने की कर्म नहीं तो इस दुनियां…

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