Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
उषा काल की मॅंजुल बेला
उगते सूर्य की रश्मियाँ, जब-जब पड़ी हरित किसलय पर सुनहरी पत्तियाँ हो गईं, देख सुनहरी आभा उनकी, आली, मैं कहीं खो गई। वृक्षों के बीच-बीच…
बिहार की राजनीति
अब बिहार में राजनीति का रहा न कोई जोड़ फिर से भागे चाचाजी एक बार भतीजा छोड़ बड़ी -बडी़ बातें करते थे बड़े – बड़े…
निशा की है शान निराली
नभ में तारे चमक रहे हैं, चन्द्रमा भी दमक रहे हैं। निशा की है शान निराली, सुबह के गए घर लौट रहे हैं। पंछी भी…
स्मृति::इंजी. आनंद सागर
**के जब तुम लौट कर आओ::स्मृति** हौसला टूट चुका है, अब उम्मीद कहीं जख्मी बेजान मिले शायद, जब तुम लौट कर आओ तो सब…
Bhut khub
Aabhar
dhanyawad