Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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वीर
छोड़ कर घरबार अपना, सीने पर गोली झेली बहा के अपने रक्त को, बचा ली मांगों की रोली खेल सकें हम सब होली, सीने पर…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वीर भगत सिंह
वीर शहीद भगत सिंह भगत सिंह सुखदेव राजगुरु थे वीर बहादुर आजादी के तराने के लिए झूल गये फांसी पर भारत मां का नारा लगा…
वंदेमातरम् गाता हूँ
नारों में गाते रहने से कोई राष्ट्रवादी नहीं बन सकता। आजादी आजादी चिल्लाने से कोई गांधी नहीं बन सकता। भगत सिंह बनना है तो तुमको…
Kya khoob likha hai
Aabhar
Waah