कैसे होते हैं……!

कैसे होते हैं……!
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कोई पहचान वाले अनजान कैसे होते हैं
जानबूझ कर कोई नादान कैसे होते हैं
बदलता है मौसम वक़्त और’लम्हें सुना हेै–
वक़्त पर बदल जाए–इंसान कैसे होते हैं..!

छोड़ दे साथ भँवर में-हमसफ़र कैसे होतें हैं
सूना-सूना,तन्हा-तन्हा–सफ़र कैसे होते हैं
यूँ तो दूनियाँ रास्ता है–आने-जाने वालों का
छोड़ जाते पहचान अपनी-मुसाफ़िर कैसे होते हैं….!

हर खुशियाँ पा लेते-वो खुशनसीब कैसे होते हैं
इच्छाएँ बह जातीं आँखों से-आंसू कैसे होते हैं
तमन्नाएँ मचलकर दब जाती-चुप हो जाती जूबाँ–
अरमाँ तड़प कर बेक़रारी में-धड़कन कैसे होते हैं…!

कुछ पानें की,कामयाबी का इंतज़ार करते-दिल कैसे होते हैं
तन्हा राहों की न जाने–मंज़िल कैसे होते हैं
अकेलेपन के न जानें–ग़म कैसे होते हैं–
बिन बादल के सावन-मौसम कैसे होते हैं–
ना जानें,बिन साथी के ये जीवन कैसे होते हैं—!!

——- रंजित तिवारी
पटेल चौक,
कटिहार( बिहार)
पिन–854105
सम्पर्क–8407082012

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