Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
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वृद्ध की अभिलाषा
एक-एक करके चले गए, जो बने थे मेरे सब अपने क्रम-क्रम से बिखर गये वो सुन्दर रचित मेरे सपने अब तो तन्हा हूँ, तन्हाई है…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-10
दीर्घ कविता के इस भाग में दुर्योधन के बचपन के कुसंस्कारों का संछिप्त परिचय , दुर्योधन द्वारा श्रीकृष्ण को हरने का असफल प्रयास और उस…
nice
Nice
वाह बहुत सुंदर