भारतीय हो-भारतीय रहो
भारतीय हो-भारतीय रहो
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भारतीय हो–भारतीय रहो
सर ऊँचा कर भारतीय कहो
मिट्टी यहाँ की,संस्कृति यहाँ की
संस्कारों में पली-बढ़ी है
शक़्ल-ओ-सूरत मनुष्य एक सा
फिर,क्यों—?
सबको भेदभाव की पड़ी है
व्यथित विचारों की तोड़ो बेड़ियां
कौन सी अच्छाइयाँ है,इसमें
न तुम खुश और हैरान भी मैं
रोग विकारों का- स्वयं इलाज करो
अपनी मातृभूमि पर थोड़ा तो नाज़ करो
छोड़ो न राग-द्वेष ,फिर देखो
वो परम् अनन्त शक्ति—
जिनका नाम लिपियों में बांट लिए
और,समझ बैठे सम्पति अपनी
हो जाएंगे दर्शन उनके–
प्रकृति के हर शक़्ल-ओ-सूरत में
नज़ारा-ए-फिजां भी लगने लगेगा
भजन,कीर्तन उर्स और जलसा
तो बदल डालो नज़र और नज़रिया अपनी
एक दूजे से भेद करने का आईडिया अपनी
तो हर शक़्ल एक तन एक मन दिखेगा
पूरा हिंदुस्तान पूरा वतन दिखेगा
रंजित तिवारी
पटेल चौक,
कटिहार (बिहार)
पिन.854105
Jai hind
Nice
जय हिन्द