मुक्तक

कभी-कभी चाहत जंजीर सी लगती है!
कभी-कभी सीने में तीर सी लगती है!
जब कभी भी होती है यादों की आहट,
दर्द की हाथों में लकीर सी लगती है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Related Articles

मुक्तक

यादों की करवट से लकीर सी बन जाती है! दिल में तरंगों की तस्वीर सी बन जाती है! जब भी आ जाता है सैलाब तमन्नाओं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close