यूँ तो हर एक नज़र को किसी का इंतज़ार है
यूँ तो हर एक नज़र को किसी का इंतज़ार है,
किसे दिख जाये मन्ज़िल और कौन भटक जाए, कहना कुछ भी यहाँ दुशवार है,
एक ही नज़र है फिर भीे पड़े हैं पर्दे हजार आँखों पर,
यहाँ अपनों को छोड़ लोगों को दूसरों पर एतबार है,
तरीका ए इल्म भी आजमाने से चूकते नहीं देखो,
यहाँ अपने ही घर में छिपे बैठे कुछ कीड़े बीमार है॥
– राही (अंजाना)
Osm
Thank you
Osm
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Osm
Waas