कब्र दर कब्र
एक दिन आसमां से गुजर जायेंगे |
कब्र दर कब्र में हम उतर जायेंगे |
आँधियों से ये कह दो रहें होश में |
गर नही तो गुजर रौंदकर जायेंगे |
लाख तूफ़ान दरिया उठाती रही |
बस तेरा नाम लेकर गुजर जायेंगे |
क्या करूँ मैं सभी लोग बिगड़े यहाँ |
पर घरों में रहें तो सुधर जायेंगे |
चाँद तारों से कह दो घरों में रहें |
सामने से नही तो गुजर जायेंगे |
मानता हूँ , दिलों में ही महफूज हैं |
गर यहाँ से गये तो बिखर जायेंगे |
चाँद तारों रहो हद मे सब , गर नही |
लफ्ज तासीर तक भी उतर जायेंगे |
ए परिंदे उड़ो तुम जमीं देखकर |
जो मरेंगें खुदा के ही घर जायेंगें |
अब जरा देख ‘अरविन्द गुब्बार को |
पर हवा साथ खुद ही गुजर जायेंगे |
❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
nice lines..i like these most
क्या करूँ मैं सभी लोग बिगड़े यहाँ |
पर घरों में रहें तो सुधर जायेंगे |
Good