Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
धुर सुवह का प्यार मित्रो
मधुर सुवह का प्यार मित्रो , मधुर सुवह का प्यार । नहीं मित्रता से बढ़ कोई , है कोई उपहार । सदा मित्रता भाव हृदय…
“* सुवह को नमन “*
“* सुवह को नमन “* **********प्यार के गीत गाती ,वसंती सुवह को नमन ।गंध बिखरा रही है ,सुगंधी मित्रता का चमन ।जानकी प्रसाद विवशपरम प्रिय…
प्यारे दोस्तों
( मेरे प्यारे दोस्तो ) दोस्तो मेरे दिल को आबाद मत करना जीने को मिली सॉसे बर्बाद मत करना ना खेलना तुम मेरे भावनाओ से…
सुवह
सुवह सुवह ये गुनगुनी सी , धूप रूप की , लगी है सेंकने ये , शीत -थरथराए तन । उमग जगाने लगी , मन में…
नमन
Wah
Very good