मैं कवि हूँ
मैं कवि हूँ ,
भावना लिखता हूँ
बोध संग गढ़ता हूँ
प्रतिकार-अधिकार के लिए
अस्त्र बन उभरता हूँ
राह सुलभ करने का
हुनर भी जानता हूँ
राहगीर से मिलता जब भी,
उनकी तकलीफ़ को स्याही बना
पन्नों पर उकेरता भी हूँ
पथ से जो विपरीत होते ,
उनके लिए पथिक भी हूँ
प्रदर्शन भी हूँ,प्रदर्शक भी ,
उम्मीदों को जगाना भी
जानता हूँ
हँसी को भी गढ़ता हूँ
दर्द को भी अपना
समझता हूँ
खिलाफ़ रहता हूँ अन्याय के
न्याय के लिए लड़ता भी
प्रेम से भी नाता
रखता हूँ
कभी -कभी उस संग
भी जीता हूँ
मैं कवि हूँ
नवीन आशा
Great positive writing… such poetry also give cofidence to other people.
Waah
Awesome