मित्र

प्राण से ज्यादा,मित्र हो प्यारे ,
इस. नश्वर संसार में ।
तीर्थ राज संगम स्थित है ,
प्रिय मित्रों के प्यार में ।

व्यर्थ सभी तीर्थटन होते ,
बिना मित्रता-तीरथ के ।
सत्कर्मों के फल मैं मिलते ,
भले मित्र उपहार में ।

जानकी प्रसाद विवश

प्यारे न्यारे मित्रो,
सवेरे की पावन मित्रतामय
फिज़ा में
सपरिवारसहर्ष
प्यार-पगी हार्दिक मंगलकामनाएँ
मन से स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

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