“**मोह रही मन”**
“**मोह रही मन”**
मोह रही मन सभी के
फागुनी बयार ।
शनैः शनेः उभर रहा है
सृष्टि का निखार ।
धडकनें सुवह की सरगमें
सुहावनी।
भावनाएँ रंगभरी हुईं
लुभावनी ।
कामनाओं पर चढ़ा
छटा काअब खुमार ।
,”**प्रातः अभिवादन “**
प्यारे मित्रो ,
सपरिवारसहर्ष
फागुनी सवेरे की
उमंगों से भरे हर पल की
शुभकामनाएँ स्वीकार करें ।
सविनय
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश
Waah
Wow