Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: गणतंत्र दिवस पर कविताएं
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http://pravaaah.blogspot.in/2016/11/blog-post_75.htmlसमाज आज एक छल तंत्र की ओर बढ़ रहा है प्रजातंत्र खत्म हुआ। अराजकता बढ़ रही, बुद्धिजीवी मौन है या चर्चारत हे कृष्ण फिर से…
ग़ज़ल
“ हद से बढ़ जाए कभी गम तो ग़ज़ल होती है । चढ़ा लें खूब अगर हम तो ग़ज़ल होती है ॥“ इश्क़ है—रंग ,…
“ग़ज़ल होती है”
ღღ_महबूब से मिलने की, हर तारीख़ ग़ज़ल होती है; महफ़िल में उनके हुस्न की, तारीफ़ ग़ज़ल होती है! . ग़ज़ल होती है महबूब की, बोली…
वतन के लिए
खून का हर एक कतरा , वतन के नाम कर देंगे। वतन की मिटटी का ये जिस्म, वतन पे कुर्बान कर देंगे। कोशिशे तुम लाख…
Bahut hu behatreen rachnaa
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Fantastic
बहुत उम्दा
वाह बहुत सुंदर
Nice