प्यारे मित्रो

प्यारे मित्रो…..
नाचो -गाओ मन, नव-गीत गुनगुनाना ,
नये वर्ष खुशी खुशी ,सबके मन बहलाना ।

जन जन का मन से ,यह नम्र निवेदन है ,
मन की पीड़ा का , प्रस्तुत आवेदन है ।
मन का उल्लास कबसे, आहत होकर बैठा ,
कटु अनुभव का , भारी भरकम प्रतिवेदन है ।

उम्मीदों के शातिर-कातिल जैसे बनकर ,
जन गण के रोते मन, और मत रुलाना ।

गड़े हुए मुर्दे, उखड़ते भी देखे हैं ,
बडे़ बडे़ घोटाले वाले भी लेखे हैं ।
अर्थव्यवस्था की साँसें उखड़ी उखड़ी हैं ,
किया वक्त की आँखों ने नहीं अदेखा है।

कपटी आदर्शों को ,घोटालों की माला ,
जाने अनजाने ,अब कभी नहीं पहनाना ।

सबको रोजी -रोटी -छप्पर ही मिल जाए ,
निर्धन को इनकी चिंता न कभी भी खाए ।
जन्मा रूखी-रोटी में मर जाता है ,
सब्जी-भाजी के सपने तक भी ,कब आए ।

बढ़ते भावों पर कसना अब तो झट लगाम ,
महंगाई जीवन में ,दे नहीं सके ताना ।

**जानकी प्रसाद विवश**

(मौलिक रचना)

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

कोरोनवायरस -२०१९” -२

कोरोनवायरस -२०१९” -२ —————————- कोरोनावायरस एक संक्रामक बीमारी है| इसके इलाज की खोज में अभी संपूर्ण देश के वैज्ञानिक खोज में लगे हैं | बीमारी…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

+

New Report

Close