उनसे गुफतगू ना हो “रहस्य “देवरिया

उनसे गुफतगू ना हो “रहस्य “देवरिया

ऐ खुदा काश कि अब से वो रूबरू ना हो ,
ख्वाबों में भी अब उससे गुफतगू ना हो ]

कम्बख्त झूठे सपने देखना कौन चाहता है,
वो रात ही ना हो जिसमें निंद पूरी ना हो ]

याद ना करू ये तो तेरी दिली ख्वाहिश थी,
ना आ सामने कही ये हसरत पूरी ना हो ]

ऐ खुदा काश कि अब से वो रूबरू ना हो %

” रहस्य “देवरिया

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