Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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सफर शुरू हुआ है मगर मंज़िलें नज़दीक है… ज़िंदगी जब जंगलोके बीच से गुजरे, कही किसी शेर की आहट सुनाई दे, जब रात हो घुप्प…
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निकले हैं हम जो प्रगति पथ पर जड़ों को अपनी भूल गये मलमल के बिस्तरों में धँस के धरा की शीतलता भूल गये छूकर चलते…
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तेरे इश्क मे…….तेरे इश्क मे , तेरे इश्क मे बेबस हुए तेरे इश्क मे बेखुद हुए तेरे इश्क मे बेहद हुए दीवाने हम ! तेरे…
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हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
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