Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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शायरी संग्रह भाग 3
मेरे इलाही मेरे रक़ीब को सलामत रखना। वो भी रोयेंगे मेरे मह़सर में।।1।। विकास कुमार कमति मेर रक़ीब मेरे माशुक को गुल दे दो।…
कविता :आओ जियें जिन्दगी ,बन्दगी के लिए
पता नहीं किस बात पर इतराता है आदमी कब समझेगा अर्थ ढाई आखर का आदमी भूल बैठा है आज वो निज कर्तव्य को खून क्यों…
मुक्तक
फसाना जिंदगी का अजीब जैसा है! हर ख्वाब आदमी का रकीब जैसा है! बदली हुई निगाहों का खौफ है दिल में, मंजिलों का मिलना तरकीब…
आदमी का आदमी होना बड़ा दुश्वार है
सत्य का पालन करना श्रेयकर है। घमंडी होना, गुस्सा करना, दूसरे को नीचा दिखाना , ईर्ष्या करना आदि को निंदनीय माना गया है। जबकि चापलूसी…
अजीब इत्तफ़ाक़ है
अजीब इत्तफ़ाक़ है अजीब इत्तफ़ाक़ है तेरे जाने और सावन के आने का अजीब इत्तफ़ाक़ है तेरी चुप और मौसम के गुनगुनाने का अजीब इत्तफ़ाक़…
Nice