मुक्तक

सूरज को रोशनी का गुमान किसलिए है?
शाम तन्हाई की पहचान किसलिए है?
टूटते नजारे हैं फिजा में हरतरफ,
रात आहटों की मेहमान किसलिए है?

मुक्तककार- #महादेव’

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