Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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सूखे नहीं थे धार आंशु के पड़ गए खेतों मे फिर सूखे
nice
Thanks ji
Lajwab Sir ji 🙂
Thanks dada
behatreen
Good
सुन्दर रचना
बहुत सुंदर पंक्तियां
very nice