मुक्तक

मुझको कभी मेरी तन्हाई मार डालेगी!
मुझको कभी तेरी रुसवाई मार डालेगी!
कैसे रोक सकूँगा मैं तूफाने-जख्म़ को?
मुझको कभी बेरहम जुदाई मार डालेगी!

#महादेव_की_कविताऐं’

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मुक्तक

मुझको तेरी जुदाई मार डालेगी! मुझको गमे-तन्हाई मार डालेगी! कबतलक जी पाऊँगा तन्हा इसतरह? मुझको गमे-रुसवाई मार डालेगी! मुक्तककार- #महादेव’

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

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