Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मुक्तक
जब कभी तुम मेरी यादों में आते हो! धूप सा ख्यालों को हरबार जलाते हो! घुल जाती हैं साँसें चाहत के रंग में, चाँद की…
मुक्तक
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ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
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