माँ हूँ मैं
ममता की छाँव तले ,
समता का भाव लिए,
इंसानियत का सभी में,
संचार चाहती हूँ,
माँ हूँ मैं,हाँ भारत माँ,
एकता और सदभाव का,
प्रवाह चाहती हूँ ।
माँ हूँ मैं,हाँ प्रकृति माँ,
संरक्षण की चाह है,
जो भी है अपनी संपदा,
जल, वायु, धरा का,
सभी में समान रूप से,
सदुपयोग चाहती हूँ
जीवन संरक्षण करने में,
सभी का सहयोग चाहती हूँ ।
माँ हूँ मैं,हाँ देवी माँ,
सुख समृद्धी का आशीर्वाद,
लुटाती हूँ,करबद्ध प्रार्थना न,
फल-फूल अलंकार का,
प्रसाद चाहती हूँ,
प्रेम भाव से समर्पित ,
निश्चल मन चाहती हूँ,
माँ हूँ मैं,हाँ माँ,
सभी में एकरसता और,
प्रेम का समावेश चाहती हूँ ।।
https://ritusoni70ritusoni70.wordpress.com/2016/12/09
वाह वाह
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति