Categories: शेर-ओ-शायरी
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लेख:- ब्राण्डेड बुखार
लेख:- ‘ब्राण्डेड बुखार’ आजकल हर व्यक्ति अपने निजी काम को बहुत ही अच्छे ढंग से करने मे विश्वास रखता है। सबसे ज्यादा ध्यान तो इस…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
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लम्हें —– कुछ गहरे घाव से दुखते होंगे, कुछ गहरे तंज जो आज भी चुभते होंगे। कुछ वक्त के मरहम से भर चुके होंगे, कुछ…
अगर ये प्रकृति भी बदल जाए
दुनियां कितनी बदल जाए अगर इंसानों की तरह प्रकृति में भी प्रतिस्पर्धा हो जाए घोसले की जगह चिड़ियों की भी अट्टालिकाएं बन जाए फूलों में…
bahut khoob
shukriya panna saaheb
बेहतरीन लाइनें
thanks