ख़्याल मन का कहने दे
ठहरा दे
इस वक़्त को
ये वक़्त गुज़र जाएगा
कुछ बात अब भी है हलक तक
वो एहसास बयां ..करने तो दे |
गफलत हुए अरसा हुआ
पर मलाल उसका..
ज़िंदा है
गर ना करे तु बात..
मुलाकात निगाहों को.. करने दे |
कहा ना मैंने कुछ…
चुप तुम भी रहे,
ख़ामोशी ये नज़र-ए-प्यार की
ज़रा..
कुछ पल तो रहने दे |
हुई जब गुफ़्तगू दरमियान
गलत फहमी का सागर था,
समझ ना पाए तुम हमको
इस घाव को ..भरने तो दे |
कुछ कह सका.. कुछ रह गया
कुछ मन ही मन में बह गया..
जो रह गया ..जो बाक़ी है.. वो…
ख़्याल मन का कहने दे |
माना कि नादां हम भी थे
पर गलती दोनों से हुई..
अब छोड़ पुरानी बातों को
इक नया किस्सा ..बनने तो दे ||
Bahut sundar