“भागीरथ जी प्रकट हो”
पाकिस्तान की औखात को देखकर ये भाव उठे, कोई गलती हो तो क्षमा करना —
जल जला उठा वो सैनिक, जिसमें जान बाकी है,
लहु से श्रंगार कर दुंगा, बस यही अहसान बाकी है,
काफूर हो उठा हिमगिरी,यह जवां अविनाशी है,
महक उठा ये कश्मीर, खुश हो रहा काशी है,
किसको क्या फांसी दी,तुम ये क्युँ बतलाते हो,
कईयों को मार दिया, क्युँ अब रूह जलाते हो,
तुम क्या पाकिस्तानी गोदियों में पले-बढ़े हुए हो,
जो ऐक याकूबी मुर्दे पर सब के सब अड़े हुए हो,
भारत की सरजमीं को, क्या दो गज में नाप लेगा,
बिछड़ी हुई विधवा के आंसू, क्या इनका बाप लेगा,
खबरदार पाकिस्तान! , सोऐ हुए शेर को नहीं जगाते है,
शिकारी भले ही जिंदा हो या मुर्दा, नोच-नोचकर खाते हैं,
तुम्हारी हर गोलियों का स्वागत,हम फूलों से करते हैं,
लेकिन तुम्हारे हर मुर्दे, मेरे तिरंगे कफन से डरते है,
हमारा बस चले ,पाकिस्तान में ऐसा अलख जगाएंगे,
भागीरथ जी प्रकट हो, इनको गंगाजी में
नहलाऐंगे…
:——– कपिल पालिया “sufi kapil “
(स्वरचित)
lajabaab ji…
Wah
Nice
जय हो
👌👌