जिन्दगी

एक ताज़ा ग़ज़ल के चन्द अश’आर आप हज़रात की ख़िदमत में पेश करता हूँ; गौर कीजिएगा…

चाहता था जिसे जिन्दगी की तरह,
वो रहा बेवफ़ा जिन्दगी की तरह।

हाँ मेरा प्यार था बस उसी के लिए,
जिसने लूटा मुझे था सभी की तरह।

दूर जाके मुझे आजमाता रहा,
जो ज़ेहन में बसा सादगी की तरह।

पास आया न मेरे कभी वो देखो,
मुझमें शामिल रहा तिश्नगी की तरह।

कैसे बीते सफ़र अब ये काफ़िर भला,
रूह में उतरे वो शायरी की तरह।

#काफ़िर (10/07/2016)

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