Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
अटल अविचल धर पग बढ़ नारी
अटल अविचल धर पग बढ़ नारी जीवन मे नव इतिहास गढ़ नारी नारी है तू यह सोच न कमतर कम॔ कर तू अभिनव हटकर तुझसे…
मनुज अब सुमिरन करता है
श्रीराम हरो पीड़ा मनुज अब सुमिरन करता है। जहां तहाँ फैली महामारी, दुखी हुई प्रजा यह सारी, दूर करो रजनी अंधियारी, सुमिरन करता है, मनुज…
प्रेयसी तुम प्रेरणा हो।
प्रेयसी तुम प्रेरणा हो मेरी हर एक शायरी का । जब मैं करता हूँ किन्हीं दो पंछियों का प्रेम वर्णन जब प्रशंसा में प्रकृति की…
हिमालय के उतुंग शिखर से
हिमालय के उतुंग शिखर से सिंह ने भरी ऊँची दहाड़ है तूफान क्या टकराएगा उससे जो स्वयं फौलादी पहाड़ है सारे जहाँ में अब भगवा…
nice one
Nice