दोहे
“कुछ दोहे”
गुरु की महिमा का हरि करते है गुंणगान |
श्रेष्ठ न गुरू से है कोई बता दिये भगवान ||
नित्य श्रद्धा से लीजिए श्री भगवत का नाम |
सब संयम से कीजिए दिए जो उसने काम ||
खाली हाथ तु आया है जाना खाली हाथ |
फिर भी पागल भाँति क्यों मरता तु दिन-रात ||
पाखंडो में गवां दिये तुमने कितने धन – धान |
पर गरीब की भूख को दिया न कुछ भी दान ||
आया है तो जायेगा जतन लाख कर योग |
धन बैभव सब कुछ तेरा करता दूजा भोग ||
जीवन का उपयोग करो दान धरम के साथ |
आखिर गत पछताओगे कुछ ना लगेगा हाथ ||
उपाध्याय…
बहुत सुन्दर