“कहाँ रहते हो”

ღღ_हम ढूँढ आए ये शहर-ए-तमाम, कहाँ रहते हो;
अरे अब आ जाओ कि हुई शाम, कहाँ रहते हो!
.
इज्जत ख़ुद नहीं कमाई, विरासत ही सम्हाल लो;
कहीं हो जाए ना ये भी नीलाम, कहाँ रहते हो!
.
रस्मो-रिवाज़ इस दुनिया के, तुझे जीने नहीं देंगे;
जब तक मिल जाए ना इक मुकाम, कहाँ रहते हो!
.
तेरे दिल से जो कोई खेलेगा, तो समझ जाओगे;
किसे कहते हैं सुकून-ओ-आराम, कहाँ रहते हो!
.
अब तुम्ही बताओ “अक्स”, और कैसे तुझे पाऊँ;
कि रब से माँगा है सुबह-ओ-शाम, कहाँ रहते हो!!….‪#‎अक्स‬
.

 

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

आज़ाद हिंद

सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत  ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन  !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो  !!   मे पृथ्वी…

Responses

+

New Report

Close