Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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स्वछंद पंछी
मुक्त आकाश में उड़ते स्वछंद पंछी आह स्वाद आ गया कहकर, वाह क्या जिंदगी कोई मुंडेर, कोई दीवार, या कोई सरहद देश की सब अपने…
कुछ नहीं
हमें आता जाता कुछ भी नहीं, सिर्फ शब्दों में खेल रहा हूं| परिणाम का हमें कुछ पता नहीं, मीठा खट्टा बोल रहा हूं| शब्द आन…
“शब्दों के सद्भाव”
” माँ ” ——- शब्दों के सद्भाव ^^^^^^^^^^^^^^^^^^ मानवता भी धर्म है जैसे इन्सानियत मज़हबी नाम, शब्दों के सद्भाव भुलाकर जीवन बना लिया संग्राम |…
मेरा परिचय, मेरी कलम
मेरी कलम , जिससे कुछ ऐसा लिखूँ के शब्दों में छुपे एहसास को कागज़ पे उतार पाऊँ और मरने के बाद भी अपनी कविता से…
कलम – किसी की जुबानी
कलम – किसी की जुबानी कलम से ही होती है शुरू किसी कोरे पन्ने की जिंदगी है। कलम से ही होती है शुरू किसी लेखक…
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