उस नजर से नहीं
वक़्त बदलेगा किसी वक़्त पर सोचा इस कदर से नहीं,
पिलाकर नजरो से हाला, फिर बोला कम जहर से नहीं,,
इज्जत बहुत हैं तेरी दिल में, तुझसा दोस्त ना पाऊँगी,
मैं प्यार तुझी से करती हूँ,, मगर उस नजर से नहीं,,
उसने तो हर एक बात को ऐसे मुंह उठाकर बोल दिया,,
मेरे हर एक ख्वाब को बस,, तराजू जुटाकर तोल दिया,
कहाँ खोजूं उस नजर को यारो, हर नजर ने राह को मोड़ दिया,,
Amazon, snapdeal फेल हो गये, गूगल ने भी हाथ जोड़ दिया,,
खेलने कूदने की उम्र हैं उसकी,, मेरे ख्यालो संग भी खेल गई,,
खुद तो गेंद से बन गई फूटबाल, पर मेरे जज्बातों को पेल गई,,
उसको मैं कैसे समझाऊ,, जब आँखों को उसकी चुल्ल हो जाएगी,,
उसका हाल तो वो ही जाने,, मेरी तो जिन्दगी लुल्ल हो जाएगी !!
उसके दिल की इज्जत को रखकर मैं कौन सा आचार डालूँगा,,,
यादो में ही रखना अब मुझको,, तेरा राहगीर नहीं बन पाऊंगा,,
भुला दूंगा दिल से तुझको, पर मुमकिन धड़कन से नहीं,
मैं प्यार तुझी से करती हूँ,, मगर उस नजर से नहीं,,
shaandaar and behateen kavya!
Ye kavya km…. Words jyada h…. Fir bhi shukriya
बहुत ही उम्दा
Dhabyabaad
beautiful words!
Aapko acche lge.. Matlab likhna safal
aapke likhne se poem safal gayi
Aapka dil,accha h….. Isliye apni padhne wali mehnat Ko meri likhawat me badal diya
Good
वाह
Waah waah
बहुत खूब