राज गोरखपुरी

माँ के दिल में बसर नहीं छोड़ा.
बाकी कोई कसार नहीं छोड़ा.
घर की मजबूरियों ने भेजा है,
हमनें यूँ ही शहर नहीं छोड़ा.

—–डॉ.मुकेश कुमार (राज गोरखपुरी)
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