Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: kavita
Panna
Panna.....Ek Khayal...Pathraya Sa!
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आज देखो दुनिया क्या से क्या हो गयी
हंसी ख़ुशी कहीं ,गम की वादियों में खो गयी आज देखो दुनिया क्या से क्या हो गयी दूसरों की सफलता पर ,जो बजती थी तालियाँ…
पत्थरों की तरह आदतें हो गयीं
हम भी रोये नहीं मुद्दतें हो गयीं। पत्थरों की तरह आदतें हो गयीं। जबसे बेताज वह बादशाह बन गया, पगड़ियों पर बुरी नीयतें हो गयीं।…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
रूक तो ज़रा
अनिश्चितता के सवालों में है मानव पङा कैसी होगी जिन्दगी, सुलसा भांति मुँह बाए खङा । कल की जिन्दगी का नहीं जन को पता खता…
उसके चेहरे से …
उसके चेहरे से नजर हे कि हटती नहींवो जो मिल जाये अगर चहकती कहीं जिन्दगी मायूस थी आज वो महका गयीजेसे गुलशन में कोई कली…
nice
nice 🙂
बहुत ही उम्दा