मन दोस्त माने ना !

कुछ समय बाद बिछड़े दोस्तों से हम यु मिले ,
देख कर उनका नाम भी याद आया ,
रंग , रूप और उनकी दोस्ती का दाम भी याद आया ,
कभी गहरी दोस्ती थी उनसे हमारी,
पर अब ये मन उनको दोस्त माने ना !

कुछ बाते कुछ मुलाकाते याद आई ,
मन ही मन आँखे भर आई ,
देख कर उनको आँखों को सुकून आया ,
आँखे ये हमारी उनको परिचित कहे ,
पर ये टुटा दिल उनको पहचाने ना !

आकर फिर से वही मीठा चुना लगाया ,
समझ गये झूठी वफा का तूफान आया ,
हमने भी कुछ बातो का पतवार घुमाया ,
कुछ एक कानखी में उनका चेहरा मुरझाया ,
हमारी गुस्ताखी से अब संभव है …
हम उनको जाने ना वो भी हमें पहचाने ना !
– सचिन सनसनवाल

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Happy Birthday to You Mam

सब की ज़िन्दगी मे कोई ना कोई इंसान ऐसा होता है जो सब से खास, सब से प्यारा होता है। चाहे वो मम्मी या पापा,…

Responses

+

New Report

Close